आपने ट्रांसफार्मर को आवाज़ करते हुए जरुर सुना होगा लेकिन क्या आपने सोचा आखिर ये आवाज़ क्यों करता है चलिए आज इसी बात पर चर्चा करते है
ट्रांसफार्मर में दो कुंडली होती है इक प्राथमिक और दूसरी सेकंडरी ,प्राथमिक से हम इनपुट लेते है और सेकंडरी कुंडली से बाहर |ये कुंडलिया नरम लोहे पे लिपटी हुए होती है,जब हम इन कुण्डलियो में प्रत्यावर्ती धारा बहती है वह नरम लोहे के कोर को १ सेकंड में पचास बार चुम्बकित और वीचुम्बकित करती है | जब कोई लोह्चुम्बकीय पदार्थ चुम्बकित होता है तो उसके आकार में परिवर्तन होता है जिसे magnetostriction कहते है जिसे जेम्स जौले ने १८४२ में सर्वप्रथम लोहे पर प्रयोग के दौरान पाया था ||जब एक सेकंड में लोहे का कोर ५० बार फैलता है और सिकुरता है तो आवाज़ उत्पन्न होती है ,जो की भनभनाहट के जैसी होती है ,यह एक प्रकार का उर्जा का लोप है
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